मानव सभ्यता ने जब खेती की शुरुवात की तब से वर्तमान युग में खेती करने की विधि में काफी परिवर्तन आया है | पुराने समय में स्थानांतरित कृषि द्वारा खेती की जाती थी | जब मानव सभ्यता स्थाई कृषि करने लगे तब से भूमि की उर्वरता बनाये रखने के लिए गोबर खाद आदि का प्रयोग होने लगा | भारत में हरित क्रांति के आगमन के बाद रासायनिक खाद का प्रयोग में वृद्धि हुई इससे शुरुवात में तो किसानो को बहुत लाभ हुआ परन्तु समय के साथ भूमि की उर्वरता में कमी आयी और पैदावार में कमी आयी | भूमि के स्वस्थ को बनाये रखने के लिए आवश्यकता है की जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये | इस प्रयास में इस लेख के माध्यम से हम जैविक DAP बनाने की विधि सीखेंगे |
सामग्री
एकड़ खेती हेतु जैविक DAP बनाने के लिए आवश्यक सामग्री –
- 10 KG – गोबर
- 10 लीटर – गोमूत्र
- 1 kg – गुड़
- 1 kg – दाल का आटा
- बरगत या पीपल के पेड़ के नीचे की मिटटी |
जैविक DAP बनाने की विधि
- 200 लीटर के पानी के ड्रम में 10 kg देशी गाय के गोबर को डाले |
- तथा 10 लीटर गोमूत्र डाल कर मिलाये |
- उसमे 1 kg गुड़ तथा 1 kg दाल का आटा डाले |
- दाल के आटे में उड़द दाल,अरहर की दाल मुंग दाल या चना की दाल आदि में किसी का भी प्रयोग किया जा सकता है |
- सभी सामग्री को मिला कर उसमे बरगत या पीपल के पेड़ के नीचे की मिटटी लगभग 500gm ड्रम में डाले |
- अब ड्रम में पानी डाले |
- पानी की मात्रा गोबर के मात्रा के 10 से 20 गुना होनी चाहिए |
- इस खाद को 15 दिनों तक रखे और प्रतिदिन घडी की दिशा में लकड़ी की सहायता से गुमाये |
जैविक DAP को खेत में डालने की विधि –
- 15 दिनों तक अच्छे से घोल तैयार कर 200 लीटर पानी में मिलाये |
- हर 20- 20 दिनों के अंतराल में इस घोल को खेत में अच्छे से छिड़काव करे |
- 200 लीटर मात्रा 1 एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होगा |

जैविक DAP- के लाभ –
- भूमि में लाभकारी सूक्ष्म जीवो की संख्या में वृद्धि होती है |
- भूमि में वायु संचार में वृद्धि होती है |
- मृदा में पोषक तत्व एवं सूक्ष्म पोषक तत्व में वृद्धि होती है |
- खेत की उर्वरता में वृद्धि होती है |