मानव सभ्यता के विकास में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण रहा है | कृषि में गोबर खाद का प्रयोग प्रचीन काल से ही किया जा रहा है |भूमि में कार्बनिक तत्व की वृद्धि करने तथा मृदा की उर्वरता बढ़ाने में इसकी की भूमिका अतयंत महत्वपूर्ण है | वर्तमान में रसायन खाद के प्रयोग से मिट्टी की उपजाऊ छमता में कमी देखने को मिलती है | गोबर की खाद से फसल को जरुरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन,फास्फोरस,पोटाश आदि पोषक तत्व मिलने के साथ-साथ मृदा में जैव रासायनिक क्रिया में वृद्धि होती है | इस जैव रासायनिक क्रिया से भूमि की उर्वरा छमता में वृद्धि होती है और खेत में केंचुए की संख्या में वृद्धि होती है | इस लेख में हम गोबर खाद बनाने की भिन्न विधिया एवं उससे प्राप्त पोषक तत्व के सम्बन्ध में सीखेंगे |
गोबर खाद बनने की विभिन्न विधिया :-

- ऐड्को विधि – इस विधि को इंग्लैंड में विकसित किया गया है |
- इस विधि में गोबर के ऊपर ऐडको पाउडर डाला जाता है |
- तीन माह में खाद बन कर तैयार हो जाती है |
- नाली विधि – इस विधि में 20 फ़ीट लम्बा एवं 5 फ़ीट चौड़ा नाली के आकर का बेड बनाया जाता है |
- इस विधि से अन्य विधियों की तुलना में नाइट्रोजन अधिक प्राप्त होता है |
- तीन माह में खाद बन जाती है |
- संसोधित गढ़ा विधि – इस विधि में 10×7 फ़ीट का गढ़ा बनाया जाता है उसमे गोबर को डाल कर सड़ाया जाता है |
- इस विधि से खाद बनने में 6 से 8 माह तक लग जाता है |
उपयोग विधि
- गोबर की खाद का प्रयोग खाद्यान, दलहन एवं तिलहन फसल के लगाने से पूर्व 4 से 5 टन प्रति एकड़ खाद को खेत में अच्छे से फैला दे |
- सब्जी वाली फसलों के लिए 8 से 12 टन गोबर खाद का प्रयोग प्रति एकड़ करे |
- इसे डालने का सही समय खेत की अंतिम जोताई के समय है |
गोबर की खाद में मिलने वाले तत्व
- खाद में आवश्यक पोषक तत्व होते है परन्तु उसकी मात्रा कम होती है |
- इस लिए आवश्यक है की खाद की मात्रा अधिक डाले |
गोबर खाद के लाभ
- इससे पौधो को जरुरी पोषक तत्व को पूर्ति होती है |
- मृदा में जरुरी लाभकारी सूक्ष्म जीवो की संख्या में वृद्धि होती है |
- मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि होती है |
- कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि से मिट्टी के कटाव में कमी आती है |
- खेत में केंचुए की संख्या में वृद्धि होती है |