अनाज की रानी मक्का की उत्पत्ति मैक्सिको (दक्षिण अमेरिका) से हुई है | विश्व में धान एवं गेहू के बाद मक्का प्रमुख फसलों में एक है | भारत में मक्का का आगमन 17वी शताब्दी में पुर्तगालियों के साथ हुआ | अमेरिका में मक्का का उत्पादन सर्वाधिक होती है वही भारत में उत्पादन एवं क्षेत्रफल में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है | गर्म जलवायु का मक्का अधिक जल भराव के प्रति संवेदनशील होता है | आनाजवर्गीय फसल में मक्का का उत्पादन सवार्धिक है इस लिए इसे अद्भुत फसल भी कहा जाता है | भारत में मक्का का सवार्धिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में है और उत्पादकता में कर्नाटक की है | इस लेख के माध्यम से मक्का कि खेती से जुडी समग्र जानकारी दिया गया है |
भूमि की तैयारी
- आम तौर पर मक्का की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपुक्त होती है जैसे काली दोमट ,बलुई दोमट, पीली मिट्टी आदि |
- मक्के के अच्छे उत्पादन के लिए खेत की मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है इसके लिए हेरो तथा रोटावेटर से खेत की गहरी जोताई करनी चाहिए |
- खेत की गहरी जोताई से मिट्टी में वायु संचार पर्याप्त मात्रा में होती है और पौधे की जड़ो का विकास अधिक होती है |
अधिक से अधिक लाभ के लिए निम्नलिखित बातो का ध्यान रखे –
- मक्का की फसल के लिए ऐसे खेत का चुनाव करे जहा जल निकासी की उचित व्यवस्था हो | मक्का अधिक जल भराव के प्रति सवेदनशील होती है |
- मक्का के खेती के लिए PH 6 से 7 के मध्य रहनी चाहिए |
- सिचाई हेतु ड्रिप या नाली बना कर कर किया जा सकता है | ड्रिप द्वारा सिचाई अधिक कारगर है ऐसी पानी की कम खपत होती है |
- खेत की गहरी जोताई कर भूमि को समतल करे |
- मक्का के बीज के अंकुरण के लिए 21 °C तथा पौध के वृद्धि के लिए 24 से 30 °C तापमान उपुक्त होती है |
बोवाई का समय
मक्का की खेती वर्ष भर किया जा सकता है परन्तु वर्ष में दो मौसम में मक्का का उत्पादन अधिक होता है | खरीफ एवं जयाद में मक्का का उत्पादन अधिक होता है |
- खरीफ के सत्र में मक्का की बोवाई जून से जुलाई में करना चाहिए |
- रबी के सत्र में मक्का ऑक्टूबर से नवम्बर के मध्य बोवाई करना चाहिए |
- जायद सत्र में मक्का की बोवाई फलवरी से मार्च में करना चाहिए |
बीज दर प्रति एकड़
- संकर किस्म के बीज की मात्रा 8-10 kg प्रति एकड़
- देशी या मिश्रित बीज 7 से 8 kg प्रति एकड़
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मक्का का रोपण

- मक्का का रोपण मेड के दोनों तरफ करने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है |
- खेत के समुचित उपयोग के लिए पौध से पौध एवं कतार से कतार की दुरी 62x20cm होनी चाहिए |
जलवायु
- मक्का के बीज के स्वस्थ अंकुरण एवं अच्छे बढ़वार के लिए 21°Cहोना चाहिए |
- पौध में अधिक बढ़वार के लिए 32°C का तापमान उत्तम होता है|
खरपतवार नियंतरण
- मक्का में कई बार अनचाहे खरपतवार आ जाते है जैसे सावा, दूबघास,जंगली चौलाई,हज़ार दाना आदि |
- जो मुख्य फसल के पोषक तत्व को ग्रहण कर नुकसान पहुंचते है |
- मक्का में शुरुवाती अवस्था में सकरे एवं चैड़ी पत्ती के खरपतवार के नियंतरण शुरुवाती अवस्था में ही कर लेना चाहिए |
- नियंत्रण ना होने पर उत्पादन में कमी देखने को मिलती है |
मक्का में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण
सफ़ेद लट( white grub)
- इस कीट का प्रभाव मुख्यतः पौधे की जड़ो में पड़ता है |
- इसके नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3G या फोरेट 4G की 8 से 10kg मात्रा प्रति एकड़ बोवाई से पहले खेत में देवे |
तना छेदक (stem- borar)
- यह मक्का का प्रमुख हानिकारक कीट है |
- तनाछेदक का लार्वा मुख्य रूप से पौधे नुकसान पहुँचता है |
- इस कीट से पौधे का आगे का भाग सूखने लगता है |
- 30 दिनों के पौधे से इस कीट का प्रभाव दिखने लगता है |
- इसके रोकथाम के लिए कारटाप हाइड्रोक्लोराइड या कार्बोफ्यूरोन 3G 8 से 10kg-का प्रयोग बोवाई से पहले करे |