सब्ज़ियों का राजा आलू भारतीय सब्ज़ियों में प्रमुख अवयव है | कार्बोहैड्रेट से भरपूर आलू हर दूसरे भारतीय सब्ज़ियों में उपयोग किया जाता है | आलू सोलेनेसी कुल से सम्बंधित है | आलू की उत्पत्ति पेरू (द. अमेरिका) से हुई है | आलू एक प्रमुख नकदी फसल है | भारत में क्षेत्रफल एवं उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है | आलू का खाने योग्य भाग कंद जो रूपांतरित तना है | भारतीय सब्जियों एवं अन्य व्यंजनों में उपयोगिता के कारण वर्ष भर आलू की मांग बनी रहती है | प्रति यूनिट क्षेत्र से अधिक बाजार मूल्य प्राप्त किया जाता है | इस ब्लॉग में आलू की खेती से जुडी सभी जानकारी देने का मेरे द्वारा प्रयास किया गया है|

आलू की प्रमुख किस्मे
आलू की प्रमुख किस्मे (इन किस्मो से आलू का उत्पादन लगभग 160 कुंटल/एकड़ होता है )
- कुफरी पुखराज (70-90दिनो की फसल)
- कुफरी अशोक (70-80दिनो की फसल)
- कुफरी बादशाह (100-110दिनो की फसल)
- कुफरी बहार (100-110दिनो की फसल)
- कुफरी लालिमा (100-110दिनो की फसल)
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आलू की खेती के लिए खेत की तैयारी
- हैरो के माध्यम से खेत की 2से 3 बार गहरी जोताई करे |
- तत्पश्च्यात रोटावेटर से एक बार जोताई करे |
- 5 ट्राली अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद और बेसल डोज़ डाल कर रोटावेटर के माध्यम से अच्छे से फैला दे |
बेसल डोज़
उर्वरक | मात्रा |
DAP | 100kg/एकड़ |
MOP | 100kg/एकड़ |
Sulphur | 8 -10/एकड़ |
Boron | 3kg/एकड़ |
तापमान
- आलू के अच्छे उत्पादन के लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए |
- तथा रात का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए |
- पौध के अच्छे बढ़वार के लिए उपयुक्त तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए |
आलू लगाने का सही समय
- आलू रबी की फसल है इसका सही समय ऑक्टूबर से नवम्बर के मध्य रहता है |
बीजोपचार
- आलू का बीजोपचार करने के लिए एक बड़े बर्तन में 20 लीटर पानी में 50ml xelora fahgicide का घोल तैयार करे |
- इस घोल में आलू को 5 मिनट तक रखे तत्पश्च्यात आलू को छाव वाले स्थान के सूखा दे |
बीजोपचार के लाभ
- फफूंदजनित रोग लगने की आशंका कम हो जाती है |
- अधिक से अधिक आलू के पौध जीवित रहते है |
- आलू के बीज से पौध जल्द निकलता है |
आलू का रोपण
- आलू के बीज के रोपण पूर्व ध्यान दे की आलू में पूर्ण अंकुरण हो |
- आलू के बीज का आकार यदि अधिक हो तो उन्हें आधा कर बीजोपचार करे |
- आलू में पौध से पौध की दुरी 20cm रखे |
- आलू के क़तर से क़तर की दुरी 40cm रखे |
- आलू के बीज को 8 से 10cm की गहराई में डाले |
आलू की खेती में बीज की मात्रा प्रति एकड़
- आकार में बड़े आलू 40 ग्राम के लगभग की मात्रा प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है |
- 40 ग्राम से काम वजन के आलू के बीज एक एकड़ में लगभग 65500 गिनती में |
- यदि आलू का वजन 25 ग्राम के आस-पास है तो 12 से 13 क्विंटल मात्रा (लगभग 100000 गिनती में )प्रति एकड़ में लगती है |
सिचाई
यदि आलू की प्रजाति 100- दिनों से अधिक की है –
पहली सिचाई | 15 से 20 दिनों में |
दूसरी सिचाई | 40 से 50 दिनों में |
तीसरी सिचाई | 60 से 70 दिनों में |
90 दिनों की प्रजाति में तीसरी सिचाई के आवश्यकता नहीं होती है |
खाद प्रबंधन
- पहली सिचाई के समय 30kg यूरिया 50kg DAP नाली में डाल कर सिचाई करे |
- 30kg यूरिया 50kg DAP नाली में डाले और दूसरी सिचाई करे |
- उर्वरक की तीसरी डोज़ 60 दिन की अवस्था में NPK0050 3gm प्रति लीटर तथा सागरिका 2ml प्रति लीटर का स्प्रे करे |
आलू में लगने वाले रोग एवं कीट
अगेती झुलसा(early blight) एवं पछेती झुलसा(late blight)
यह आलू का प्रमुख रोग है |
इस रोग में आलू के पौध झुलस जाते है |
उपचार – कॉपर आक्सीक्लोराइट 0.3 का छिड़काव करे या स्टेप्टोसाइक्लीन 0.1g-/लीटर का शुरुवाती अवस्था में छिड़काव करे |
आलू के प्रमुख कीट
पोटेटो ट्यूबर मोथ
- इस कीट का प्रकोप खेत एवं भण्डारण दोनों जगह होता है |
मोयला
- यह कीट आलू में पत्ती मोड़क वायरस का वाहक है |