फसल में बढ़वार के लिए पोषक तत्व की पूर्ति अति महत्वपूर्ण है इसमें यूरिया एक आवश्यक खाद है | यूरिया में मुख्यतः नाइट्रोजन होता है जो पौधे के प्रकाश संश्लेषण से भोजन निर्माण एवं पौध के वृद्धि में सहायक है |वर्तमान कृषि में रासायनिक खाद के प्रयोग से उत्पादन तो अच्छी होती है परन्तु समय के साथ भूमि की उर्वरा छमता कम होती जा रही है | मृदा स्वस्थ को बनाये रखने के लिए आवश्यक है जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये | जैविक खेती से मृदा की उर्वरा लम्बे समय तक बानी रहेगी | इस लेख में जैविक यूरिया बनाने की विधि , प्रयोग एवं लाभ के विषय में चर्चा की गयी है |
जैविक यूरिया बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
जैविक यूरिया बनने के किये मुख्यतः एक ही सामग्री की आवश्यकता होती है जैविक यूरिया बनने के लिए दही की आवश्यकता होती है |
बनाने की विधि
जैविक यूरिया बनने के लिए मिटटी या प्लास्टिक के पात्र में 4kg दही को डाल कर जैविक विधि द्वारा अपघटित करते है दही जितना पुराना होता है खाद उतना ही अच्छा बनता है |
प्रयोग विधि
अच्छे से अपघटित जैविक यूरिया की 2kg मात्रा को स्प्रे पम्प में पानी के साथ मिला कर 1 एकड़ में स्प्रे करे फसल की अवधि के अनुसार 2 से 3 बार प्रयोग करे | इस दही का उपयोग बायो पेस्टीसाइड और बायो फंगीसाइड बनने में भी किया जा सकता है |
लाभ
- इसका प्रयोग जैविक फंगीसाइड के रूप में किया जा सकता है |
- कीट नियंत्रण में भी यह कारगर है |
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में वृद्धि करती है |
- दही में लगभग 3% नाइट्रोजन एवं कैल्सियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है |
- जैविक यूरिया बहुत ही अच्छे ग्रोथ प्रमोटर के रूप में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है |
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