सरसो की खेती (Mustard seeds Farming)

किसानो के मध्य रबी एवं तिलहन फसल में सरसो एक लोकप्रिय फसल है | इसकी लोकरीयता का कारण लगत में कमी एवं लाभ की अधिकता है | सरसो की फसल को कम सिचाई की आवस्यकता होती है | फसल चक्र में किसान भाई सरसो की खेती को शामिल कर अच्छा लाभ कमा सकते है | भारत के विभिन्न राज्य राजस्थान,मध्य प्रदेश, हरियाणा ,उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों में सरसो की व्यापक रूप से खेती की जाती है | भारत में 1721 किलो /हे. उत्पादन के साथ हरियाणा प्रथम स्थान पर है |

सरसो की खेती
सरसो की खेती

भूमि का चयन

  • सरसो का अधिकाधिक उत्पादन लेने के लिए भूमि का चयन आवश्यक है इसकी खेती हेतु दोमट या बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है |
  • खेत में जल निकास की सुविधा होनी चाहिए |
  • जल निकास की सुविधा ना होने की स्थिति में हरी खाद (ढेचा) लगा कर 20-25 दिनों में खेत की जोताई कर दे|
  • भूमि का PH-7 होना चाहिए |

सरसो की खेती भूमि की तैयारी

  • खरीफ फसल के पश्चात खेत की मिट्टी को पलटाये |
  • 3 बार गहरी जोताई करे |
  • मिट्टी के बड़े ढेलो को पाटा द्वारा समतल करे|
  • बोवाई से पहले खेत को खरपतवार मुक्त बनाये |
  • बोवाई से पहले खेत की नमी की जाँच करने के लिए मिट्टी का एक गोला बना ले और उसे कमर की ऊंचाई से गिराए
  • यदि मिट्टी का गोला यथावत है तो नमी ठीक है |
  • यदि वह टूट जाता है तो खेत में थोड़ा सिचाई करे |

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सरसो का बीजोपचार

  • सरसो में श्वेत किट्ट एवं मृदुरोमिल आसिता के प्रकोप से सुरक्षा के लिए मेटालेक्जिल एप्रिन SD-35 का उपयोग 6gm/kgकरना चाहिए |
  • तना से सम्बंधित विकारो से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम का प्रयोग करे

सरसो की बोवाई का समय और बीज की मात्रा

  • सरसो में बीज की बोवाई दो प्रकार से की जाती है अगेती और पछेती |
  • सरसो की अगेती बोवाई सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में करनी चाहिए |
  • एवं पछेती बोवाई अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से 25-वे दिन के मध्य करनी चाहिए |

बीज की मात्रा:- 4-6kg / हेक्टेयर

सरसो के बीज की बोवाई

  • सरसो की बोवाई दो तरीको से मुख्या रूप से किया जाता है |
  • प्रथम है छिटकवां विधि इस विधि में हाथो से सीड का छिड़काव किया जाता है |
  • इस विधि में ध्यान रखे की बीजो का जमाव एक स्थान में अधिक ना हो |
  • द्वितीय विधि में सीड़ ड्रिल का उपयोग किया जाता है इस विधि बोवाई में निम्न बातो का ध्यान रखे –
  • पौध से पौध की दुरी 4 से 5 इंच रखे |
  • क़तर की दुरी 11 से 12 इंच रखे |
  • बीज की गहराई 2-3cm से अधिक नहीं होनी चाहिए इससे अंकुरण में समस्या उत्पन्न होती है |

खाद प्रबंधन

सरसो की फसल में ठोस खाद जैसे यूरिया,पोटाश जिंक सल्फेट ,मैग्निसियम सल्फेट आदि का प्रयोग रोपण से पहले किया जाता है | तरल उर्वरक का उपयोग बोवाई के पश्चात किया जाता है | इससे पौध को सही पोषक तत्व सही समय एवं सही रूप में मिलता है |

खेत की प्रथम जोताई के समय निम्नानुसार खाद का छिड़काव करे

  • SSP- 100kg/एकड़
  • MOP-30kg/एकड़
  • ZnS-3kg/एकड़
  • MnS-2kg/एकड़

खेत की द्वितीय जोताई पर खाद की मात्रा

  • यूरिया – 30kg/एकड़

ठोस खाद के प्रयोग के बाद तरल उर्वरक का प्रयोग किया जाता है जो की निम्नानुसार है :-

बोवाई के 10 दिनों के बाद –

  • NPK-19:19:19: 2gm/लीटर तथा सागरिका 2ml/लीटर

30 दिन के बाद खाद का निम्नानुसार खाद का छिड़काव करे –

  • 500ml- नेनो यूरिया /एकड़
  • तथा कीटो की समस्या से बचाव के लिए 17 प्रतिशत Imidacloprid 2ml/ लीटर का छिड़काव करे

45- दिनों के बाद खाद का छिड़काव

  • सल्फर 80% 2gm /लीटर

सिचाई

सरसो के फसल में सिचाई की अधिक आवस्यकता नहीं होती है | यह कम सिचाई में भी अच्छा लाभ प्रदान करता है | सरसो की सिचाई निम्नानुसार किया जाना चाहिए –

  • प्रथम सिचाई – बोवाई के 30 दिन बाद
  • द्वितीय सिचाई 60 दिनों पर

Tips:-

  • सरसो में gibberellic acid का प्रयोग करे जिससे उत्पादन में वृद्धि हो |
  • gibberellic acid 0.001% 10ml/लीटर की मात्रा शुरुवात के 25 से 30 दिनों के मध्य करे |
  • सरसो की टॉपिंग – सरसो की फसल जब 30-35 दिन की हो जाती है |
  • फूल आने की अवस्था में मुख्य तने के ऊपरी भाग की तोड़ाई करने से उत्पादन में 10-15% की वृद्धि होती है |

रोग प्रबंधन

सफेद रतुआ रोग
  • लक्षण – पत्तियों की निचली सतह में सफेद रंग के गोल घेरे के सामान
  • जो समय से साथ पत्तियों एवं फलियों को भी नुकसान पहुँचता है |
  • नियंत्रण –
  • खेत में नमी बनाये रखे अधिक सिचाई ना करे
  • मेनकोजेब 250 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में घोल कर 2 छिड़काव करे
सरसों का झुलसा
  • लक्षण –पत्तियों में भूरे रंग का धब्बा बन जाता है |
  • नियंत्रण –पत्तियों में भूरे रंग का धब्बा बन जाता है |
  • मेनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करे |

निश्चित रूप से रबी फसल सरसो से किसान भाइयो को अतिरिक्त लाभ का अर्जन होता है | सही तकनीक से खेती सरसो का उत्पादन लाभकारी है | सरसो में सिचाई का विशेष रखे अधिक सिचाई से फसल के नुकसान होने का खतरा बना रहता है |सरसो का रोपण सितम्बर से अक्टूबर के मध्य करे | आशा करता हु इस ब्लॉग के माध्यम से किसान बंधुओ को सरसो की खेती के बारे कुछ जरुरी जानकारी मिली होगी |

FAQs

सरसों में कितनी बार पानी देना चाहिए?

सरसो के फसल में सिचाई की अधिक आवस्यकता नहीं होती है | यह कम सिचाई में भी अच्छा लाभ प्रदान करता है |
सरसो में 2 बार सिचाई की जरुरत होती है -प्रथम सिचाई – बोवाई के 30 दिन बाद
द्वितीय सिचाई 60 दिनों पर

1 एकड़ में सरसों का बीज कितना डालना चाहिए?

सरसो में प्रति एकड़ बीज की मात्रा लगभग 1.5kg से 2.5kg बीज की मात्रा लगती है |

सरसों में कौन सी खाद डालनी चाहिए?

खेत की प्रथम जोताई के समय निम्नानुसार खाद का छिड़काव करे
SSP- 100kg/एकड़
MOP-30kg/एकड़
ZnS-3kg/एकड़
MnS-2kg/एकड़
खेत की द्वितीय जोताई पर खाद की मात्रा
यूरिया – 30kg/एकड़
बोवाई के 10 दिनों के बाद –
NPK-19:19:19: 2gm/लीटर तथा सागरिका 2ml/लीटर
30 दिन के बाद खाद का निम्नानुसार खाद का छिड़काव करे –
500ml- नेनो यूरिया /एकड़
45- दिनों के बाद खाद का छिड़काव
सल्फर 80% 2gm /लीटर

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