तिलहन

सूरजमुखी की खेती

तिलहन फसलों में सूरजमुखी अत्यंत महत्वपूर्ण है इसमें 40 से 50% तेल पाया जाता है जो अन्य तिलहन फसलों में सर्वाधिक है | सूरजमुखी में 40% तक प्रोटीन पाया जाता है जिसका उपयोग पशुचारा के रूप में किया जाता है | सूरजमुखी की उत्पति देश की बात करे तो मेक्सिको से इसकी खेती की शुरुवात हुई है | सूरजमुखी का तेल ह्रदय रोगियों के लिए लाभकारी है जो कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम करने में सहायक है | भारत में कर्नाटक में क्षेत्र एवं उत्पादन में अग्रणी राज्य है | यह एक एक पर – परागित फसल है | इस लेख में सूरजमुखी की उन्नत खेती से सम्बंधित जानकारी का उल्लेख किया गया है |

सूरजमुखी लगाने का सही समय

ऋतु बोवाई का समय
खरीफ सीजनजुलाई से अगस्त
रबी सीजनमध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर
जायद सीजनजनवरी से मार्च
सूरजमुखी लगाने का सही समय

सूरजमुखी की प्रमुख किस्मे

सूरजमुखी में संकर एवं परंपरागत बीज है जो इस प्रकार है –

  • परंपरागत किस्म – सूर्या, मॉर्डन, BSH-1 आदि |
  • शंकर किस्मे – बादशाह ,दिव्यामुखी,SH-3322,MSFH-17,VSF-1 आदि |

NOTE:-सूरजमुखी की खेती करते समय मुख्य बातो का विशेष रोप से ध्यान रखे

  • सूरजमुखी की खेती बेड बना कर करनी चाहिए |
  • एक बेड से दूसरे बेड की दुरी 2- फ़ीट होनी चाहिए |
  • बेड की चौड़ाई 1.5- फ़ीट होनी चाहिए |
  • बेड की ऊंचाई 1- फ़ीट होनी चाहिए |
  • एक लाइन से ड्रिप द्वारा सिंचाई करे ड्रिप ना हो तो नाली द्वारा सिंचाई करना चाहिए |

जलवायु एवं मृदा

  • सूरजमुखी के लिए समशीतोष्ण तथा शीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है |
  • 15°C से 30 °C तापमान सूरजमुखी के वृद्धि के लिए उपयुक्त होती है |
  • सुरजमूखी की खेती के लिए उच्य नमी वाली दोमट मिट्टी , काली दोमट , चिकनी दोमट आदि मिट्टी उपयुक्त होती है |
  • सूरजमुखी की खेती हल्की अम्लीय से क्षारीय मृदा में किया जा सकता है |
  • PH मान 6 से 8.5 के मध्य होना चाहिए |

सूरजमुखी की खेती के लिए खेत की तैयारी

  • कल्टीवेटर के माध्यम से खेत की जोताई करवाए |
  • रोटावेटर के माध्यम से खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर लेवे |
  • खेत में जल निकासी के लिए उचित व्यवस्था करे |
  • खेत की जोताई के साथ 3 ट्राली अच्छे से सड़ी गोबर खाद डाले |
  • बेसल डोज़ में SSP- 45kg/ एकड़ तथा DAP-35kg/एकड़ डाले |

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बीजोपचार

कवक जनित रोग से बचाव के लिए बीजो का बीजोपचार आवश्यक है |

  • बीजोपचार से पौध को शुरुवात से ही रोग प्रतिरोधक छमता का विकास होता है और पौधे स्वस्थ होते है |
  • सूरजमुखी के बीजो को उपचारित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP कवकनाशी का उपयोग करे |

सूरजमुखी की बोवाई कैसे करे

  • एक बेड में ज़िगज़ैग बोवाई करना चाहिए |
  • पौधे से पौधे की दुरी 0.5 फ़ीट तथा
  • लाइन से लाइन की दुरी 1.5 फ़ीट |

सिंचाई

  • सूरजमुखी में अपेक्षाकृत कम सिंचाई की आवयश्यकता होती है |
  • मुख्यतः सूरजमुखी में 3 से 4 सिंचाई की आवयश्यकता होती है |
सिंचाई समय
प्रथम सिंचाईबोवाई के 20 से 25 दिन बाद
दूवयातीय सिंचाई40 से 45 दिनों बाद एवं
तृतीय सिंचाई60 से 65 दिनों के बाद
सिंचाई
  • पुष्पशन की अवस्था में सिंचाई अत्यंत आवश्यक है अन्यथा उत्पादन में कमी देखने को मिलती है |
  • सूरजमुखी का उत्पादन प्रति एकड़ 9- से 10- क्विंटल होता है |

सूरजमुखी की खेती में खाद प्रबंधन

  • फसल में प्रथम खाद 25 से 30 दिन में करना चाहिए |
  • सल्फर 90% WDG 5kg / एकड़
  • यूरिया 30kg /एकड़
  • सागरिका 10kg/एकड़
  • सभी खाद को मिला कर पौधे की जड़ो में डाले |
  • फसल दूसरी खाद 40 से 45दिन के बाद देना चाहिए |
  • सूक्ष्म पोषकतत्व 5kg/एकड़
  • यूरिया 40kg /एकड़

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कीट नियंत्रण एवं रोग नियंत्रण

  • सूरजमुखी के प्रमुख कीट – सेमीलूपस इली,लाल कदु बीटल, सफ़ेद मक्खी आदि
  • एवं प्रमुख रोग – झूलसा रोग – यह अलटरनेरिया रिसिनी द्वारा होता है |
  • कीट एवं रोग की नियंत्रण के लिए इस स्प्रै सेडुल का अनुकरण करे –
  • प्रथम स्प्रै 25 से 30 दिनों में करे
  • बायर Antracol fungicide 40gm/एकड़
  • UPL lancergold Insecticide 40ml/एकड़
  • 15 लीटर पानी में घोल कर स्प्रै करे |
  • द्वितीय स्प्रै 50 से 60 दिनों में
  • Syngenta Ampligo 10ml
  • Excel Swadheen Fungicide 40gm
  • Fentak Plus Tonic 10ml
  • 15 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करे |
Gajendra & Pawan Kodopi

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