जैविक खेती

वर्मी कम्पोस्ट खाद

कार्बनिक पदार्थ जैसे पशुओ के अपशिष्ट पदार्थ,फसल से बचा पराली आदि को केंचुए के माध्यम से अपघटित कर खाद बनाया जाता है उसे वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता है | कृषि में उत्पादन के साथ मृदा की उर्वरता को बनाये रखने के किये वर्मी कम्पोस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | इसे मिट्टी में जैव रासयनिक गतिविधि में वृद्धि होती है | केंचुए कार्बनिक पदार्थ को खा कर मल त्याग करते है यह वर्मी कम्पोस्ट कहलाता है | वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से मिट्टी में वायु संचार में वृद्धि होती है और पौधे को आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन,फास्फोरस,पोटाश आदि तत्व की पूर्ति होती है | इस लेख से हम सीखेंगे केंचुए की खाद कैसे बनाये ,उनकी प्रजातियां ,उसमे उपास्थि पोषक तत्व की मात्रा ,लाभ एवं प्रयोग विधि |

केंचुए की प्रमुख प्रजातियां

विश्व में केंचुए की विभिन्न प्रजातियां है पायी जाती है उनमे तीन प्रजातियां प्रमुख है

  1. इन्डोजिक
  2. डायोजिक
  3. एपेजिक
  • इन्डोजिक- इस प्रजाति के केंचुए जमीन में 3- मीटर की गहराई तक रहते है |
  • यह केंचए मिट्टी अधिक एवं कार्बनिक पदार्थ को कम खाते है |
  • जल निकासी हेतु यह उपयोगी होते है |
  • यह मिट्टी को भुरभुरा बनाते है |
  • डायोजिक – इस प्रजाति के केंचुए जमीन में लगभग 1 से 3 मीटर गहराई तक जाते है |
  • यह कार्बनिक पदर्थ एवं मिट्टी दोनों को सामान रूप से खाते है |
  • एपेजिक – इस जाती के केंचुए मृदा में 1 मीटर की गहराई तक जाते है |
  • यह कार्बनिक पदार्थ को अधिक एवं मिट्टी को कम खाते है |
  • इस प्रजाति के केंचुए का उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने में अधिक किया जाता है|
  • फेरेटिमा पोस्तुमा – इस केंचए का उपयोग विश्व में वर्मी कम्पोस्ट बनाने में सर्वाधिक किया जाता है |

गोबर की खाद कैसे बनाये

केंचुए में जनन

  • केंचुआ द्विलिंगी या उभयलिंगी होती है |
  • इसके वृद्धि के लिए 25 से 30 डिग्री सेसियस तापमान उपयुक्त होता है |
  • व्यस्क केंचुआ 1 सप्ताह में दो से तीन कोकून देता है |
  • एक कोकून में तीन से चार अंडे होते है |
  • प्रजनन द्वारा केंचुआ 6 माह में 200 से 250 केंचुआ उत्पन्न करता है |

वर्मी कम्पोस्ट में उपस्थित पोषक तत्व

  • नाइट्रोजन – 1.5 से 2.5 प्रतिशत
  • पोटाश – 1.6 से 1.8 प्रतिशत
  • फास्फोरस – 1 से 1.5 प्रतिशत
  • इस खाद में गोबर की खाद की तुलन में रोगप्रतिरोधी गुण अधिक होती है |
  • यह मृदा में जैव रासायनिक परिवर्तन कर मृदा की संरचना में सुधार एवं मृदा की जलधारण क्षमता बढ़ती है |

वर्मी कम्पोस्ट बनने की विधि

केंचुए की खाद बनने के लिए स्थान के चयन के लिए ध्यान रखे की सूर्य की सीधी प्रकाश न पहुंचे |
बेड की गहराई तीन फ़ीट , चौड़ाई चार फ़ीट रखे तथा लम्बाई 40 से 50 फ़ीट रखे |
वर्मी कम्पोस्ट बनाने की लिए तापमान 25 से 30 °C रखे |
गोबर एवं कार्बनिक पदार्थ जैसे पत्ती,पराली आदि से बेड बनाये |
वर्मी कास्ट में 2.5 kg केंचुए होना चाहिए |
खाद बनने में लगभग दो माह का समय लगता है |

Gajendra & Pawan Kodopi

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