किसानो के मध्य फसल चक्र में विविधता एवं अतिरिक्त आय के अर्जन के लिए मिर्च की खेती में रुझान बढ़ा है | भारतीय खाने में मिर्च का विशेष स्थान है | इसकी मांग पुरे वर्ष सामान बनी रहती है, मिर्च का प्रयोग मसाले , सब्जी के मुख्य सामग्री, आचार आदि में प्रमुख रूप से किया जाता है | मिर्च किसानो के लिए एक लाभकारी फसल है यदि इसे सही एवं वैज्ञानिक रूप से किया जाये | इस ब्लॉग के माध्यम से मिर्च की खेती से सम्बंधित सभी तथ्यों के विषय में चर्चा करेंगे |
मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी
खेत को अच्छे से 3- 4 बार जोताई करे |
3 से 4 ट्राली गोबर की खाद/एकड़ की दर से छिड़काव करे |
DAP- खाद 50kg/एकड़ की दर से डाले |
रोटावेटर के माध्यम से खेत की मिटटी को अच्छे से भुर-भूरा कर ले |
तथा क्यारियों का निर्माण करे,क्यारी की ऊंचाई 20cm रखे |
दो क़तर के मध्य दुरी 18 इंच तथा पौध से पौध के दुरी भी 18 इंच रखे |
दो पोधो को लगभग 3 – 4cmकी गहराई में लगाए |
मिर्च की खेती के लिए उपुक्त मृदा एवं समय
मिर्च की खेती के लिए उपुक्त मिट्टी दोमट और बलुई है |
मिट्टी का ph 6 से 7 के मध्य होना चाहिए |
मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जैसे सूक्ष्मजीव,कीड़े आदि के अवशेष और गोबर की खाद ,हरी खाद आदि होने चाहिए |
खेत में जल निकास की सुविधा हो |
खरीफ में जून-जुलाई के मध्य बोवाई करना चाहिए |
रबी से ऑक्टूबर – सितम्बर के मध्य नर्सरी की रोपाई की जाती है |
ग्रीष्मकालीन मिर्च के फसल की रोपाई फलवरी से मार्च के मध्य किया जाना चाहिए |
मिर्च पाला के प्रति सवेंदनशील है इसलिए पाला का विशेष ध्यान रखे |
मिर्च के पौधे के लिए 15℃ से 35℃ के मध्य होना चाहिए |
View Comments
Nice post. I learn something totally new and challenging on websites