धान की खेती (Paddy farming)

धान की खेती (paddy farming) भारत में एक मुख्य खेती क्रिया है जो धान की उत्पादन के लिए की जाती है। यह खेती भारत के कुछ राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि। धान खेती एक लाभदायक व्यवसाय होता है जो बहुत सारे किसानों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इसके अलावा, धान का उत्पादन देश के अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, धान खेती एक महत्वपूर्ण खेती क्रिया है जो भारत के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस ब्लॉग के माध्यम से धान की खेती से सम्बंधित महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी सरलता से दिया गया है |

धान की खेती की प्रमुख विधिया

  • धान की रोपाई(Transplanting)
  • सीधी बिजाई(Direct Seeding of rice)
  • श्री विधि (S.R.I paddy cultivation)

धान की रोपाई

धान के नर्सरी के लिए बैड
  • धान की नर्सरी बनाने के लिए 25/25 फ़ीट का एक बैड तैयार करे |
  • 2 kg DAP खाद और 100 Kg गोबर की खाद का छिड़काव बैड में करे |
  • 1 एकड़ में 5-6 KG उपचारित बीज की बोआई करे |

धान की रोपाई

  • कम अवधि के लिए फसल में पौध से पौध की दुरी 15x15cm तथा लाइन से लाइन की दुरी 15x15cm में रोपा लगाना चाहिए |
  • अधिक अवधि के धान के फसल के लिए पौध की दुरी 15x15cm तथा लाइन की दुरी 20x20cm होना चाहिए |

सीधी बिजाई

धान की सीधी बोवाई वर्तमान में किसानो के मध्य काफी प्रचलित है क्योकि इसमें लागत कम ,कीट प्रकोप में कमी ,जल्द फसल तैयार हो जाता है एवं पानी भी कम लगता है |

  • इस विधि में लगभग 8 kg / एकड़ बीज की जरुरत होती है |
  • बीज को भीगा कर 36 घंटे के लिए छाव में अंकुरित होने के लिए रखे |
  • बीज का बीजोपचार कर सीडर के माध्यम से धान की बोवाई करे |
  • बीज की गहराई 2-3 cm होनी चाहिए ताकि खरपतवार पहले न निकले |
  • सीधी बोवाई के लिए सही समय 15 मई से 10 जून के मध्य है |

श्री विधि(S.R.I Paddy Cultivation)

श्री विधि से धान की खेती की खोज मेडगास्कर के वैज्ञानिक हेनरी दे लौलनिए 1980 में किया था| इस विधि को मेडागास्कर विधि भी कहा जाता है | इस विधि से धान की खेती करने से उत्पादन अधिक होती है, बीज की मात्रा कम ,पानी की मात्रा भी कम लगती है परन्तु मजदूरी में थोड़ा अधिक व्यव होता है |

  • इस विधि में धान की नर्सरी से 12 से 14 दिन के पौध की रोपाई की जाती है |
  • खेत को तैयार कर रस्सी में 25 cm की दुरी में मार्क बना कर
  • या बांस के 25x25cm के स्क्वैर बना कर पौध रोपण किया जाता है |
  • इस विधि में पौध के मध्य दुरी 25x25cm रखना है 1 मीटर में लगभग 16 पौधे होते है |
  • इस विधि से 40% पानी कम उपयोग होता है तथा धान के पौधे को हवा एवं प्रकाश भरपूर मात्रा में मिलता है |
  • एक पौध में लगभग 30 से 40 कल्ले आते है एवं दाना भी मोटा आता है |
  • 15 दिनों में खेत में गोड़ाई करना आवश्यक है ताकि खरपतवार न हो |
  • गोड़ाई 3 बार 15 दिनों की अवधि में करना होता है |
धान की खेती (Paddy farming)
श्री विधि से धान की खेती

धान की खेती के लिए खेत की तैयरी

  • हरी खाद के रूप के ढेचा का उपयोग किया जा सकता है |
  • ढेचा को 30 दिन पूर्व लगा कर जोताई कर देने से खेत में पोषक तत्व की पूर्ति होती है |
  • या 5-6 ट्राली गोबर की भुरभुरी खाद का छिड़काव कर |
  • खेत की 3-4 बार गहरी जोताई कर ले |
  • सिचाई सुविधा हो तो धान की रोपाई कर दे |
धान की खेती (Paddy farming) के लिए तैयारी

धान के बीज का बीजोपचार

धान के उन्नत बीज का चयन अति आवश्यक है ताकि उत्पादन अधिक हो और स्वस्थ पौधे का रोपण हो |
आगे दिए गए विधि से धान का बीजोपचार करे

  • एक बाल्टी ले कर उसमे नमक मिलाये |
  • एक मुर्गी का अंडा जब तक ऊपर तैरने न लगे तब तक नमक मिलाये |
  • अब धान के बीज को घोल में डाले 3 मिनट बाद जो बीज ऊपर आये उन्हें बहार करे |
  • निचे बैठे धान के स्वस्थ बीज को साफ़ पानी से अच्छे से धो ले |
  • 1 kg धान के बीज में 3 gm कार्बेन्डाजिम और च्लोरपैरिफोस 2 gm मिला कर धान के बीज का अंकुरण करे |

धान की खेती (Paddy farming) में खरपतवार नियंत्रण

धान की खेती (Paddy farming) से अधिक उत्पादन लेने के लिए धान के फसल में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है धान की फसल मुख्य रूप से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवार पाए जाते है उनके निवारण के लिए रासायनिक विधि आगे के लेख में दिया गया है :-

  • रोपाई के 2-३ दिनों बाद पेंडीमेथलीन 1-1.5 लीटर / एकड़ एवं साथी 80 gm / एकड़ का छिड़काव करे|
  • यदि खरपतवार 20- 30 दिन बाद भी दिखते है तो नोमनिगोल्ड 100 ml / एकड़ में छिड़काव करे |
  • शाकनाषी के छिड़काव करते समय चेहरे को कपडे से बंधे और रासानिक घोल बनाते समय ग्लबस का उपयोग करे |

खाद प्रबंधन

धान की खेती (Paddy farming) में फसल के अधिकाधिक उत्पादन के लिए खाद का उचित प्रबंधन अति आवश्यक है खाद के कम प्रयोग पौधे में पोषक तत्व की कमी हो जाती है जिससे उत्पादन में कमी आ जाती है और खाद के अधिक प्रयोग से खरतवार , कीट प्रकोप की अधिकता हो जाती है |इसलिए खाद का संतुलित उपयोग जरुरी है |
धान के खेत में तीन बार खाद का उपयोग करे प्रथम खाद का प्रयोग रोपाई के 10-15 दिन बाद खाद की दूसरी खुराख कल्ले फूटने से पहले और अंतिम खुराख धान में फूल आने से पहले करे | कई बार किसानो के पास DAP(Di-ammonium Phosphate) उपलब्ध नहीं होती इस स्थिति में SSP(Single Super Phosphate) का उपयोग करे इसलिए लेख में दोनों स्थिति में खाद के प्रयोग का वर्णन है :-

मिर्च की खेती के बारे में जानकारी

यदि DAP उपलबध हो

प्रथम छिड़काव

  • Urea – 25 kg
  • DAP – 20 kg
  • पोटाश – 15kg
  • मैग्नीशियम सल्फेट – 15kg
  • micro nutrient – 5kg

द्वितीय छिड़काव

  • Urea – 15kg
  • DAP – 25 kg
  • potash – 10 kg
  • Sulfur 90 % – 3 kg
  • micro nutrient – 5kg

तृतीय छिड़काव

  • Urea – 10kg
  • DAP – 5kg
  • Potash – 25kg
  • calcium nitrate – 25kg
यदि DAP उपलब्ध ना हो तो उसके स्थान पर SSP का उपयोग करे मात्रा निन्मलिखित है

प्रथम छिड़काव

  • Urea – 30 kg
  • SSP – 50 kg
  • पोटाश – 15kg
  • मैग्नीशियम सल्फेट – 15kg
  • micro nutrient – 5kg

द्वितीय छिड़काव

  • Urea – 35kg
  • SSP – 25 kg
  • potash – 10 kg
  • Sulfur 90 % – 3 kg
  • micro nutrient – 5kg

तृतीय छिड़काव

  • Urea – 12kg
  • SSP – 15kg
  • Potash – 25kg
  • calcium nitrate – 25kg

Tips :-

  • रोपाई के 10-15 दिन बाद Urea+DAP+ MOP का छिड़काव करे उसके 10 दिनों के बाद ही 10kg/एकड़ जिंक का छिड़काव करे |
  • gibberellic एसिड 1gm / एकड़ का स्प्रे धान में पुष्पन से पहले करे |
  • gibberellic एसिड को अल्कोहल( लगभग 10ml ) में घोल बना कर खेत में स्प्रे करे |

रोग प्रबंधन एवं कीट प्रबंधन

धान में रोपाई से लेकर फसल की कटाई तक विभिन्न प्रकार के रोग एवं कीट का खतरा बना रहता है | जिसका समय में निराकरण बहुत जरुरी है | समय पर निराकरण न करने पर किसान भाइयो को अंत में नुक्सान का सामना करना पड़ता है | धान में मुख्य रूप से दो प्रकार के रोग होते है 1. जीवाणुजनित 2.फंगल |
धान में बीजोपचार से अनेक रोगो का निवारण पहले से ही किया जा सकता है | इस लेख के माध्यम से रोग के लक्षण एवं कीटो की पहचान एवं नियंत्रण में सहायता मिलेगी :-

झुलसा रोग (Blight)

यह एक जीवाणुजनित रोग है | इसका प्रभाव पौध अवस्था से के कर दाने लगने के अवस्था तक होता है |

झुलसा रोग

लक्षण –

  • पत्तियों में भूरे भूरे धब्बे एवं तने में गांठ का आना
  • बाली में आंख के आकर के धब्बे | कई धब्बे मिल कर भूरे सफ़ेद रंग के बड़े धब्बे बना लेते है |

नियंत्रण –

झुलसा रोग
  • पुराने फसल के अवशेष को अच्छे से नष्ट करना |
  • रोग प्रतिरोधी बीज का चयन जैसे – तुलसी गरिमा |
  • धान की नर्सरी लगाने से पूर्व कार्बेन्डाजिम 2 gm /kg का प्रयोग करना |
  • यदि कड़ी फसल में रोग का प्रकोप दिख रहा है तो ट्रायसायक्लाजोल 1 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर या मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिये।

भूरा धब्बा रोग

यह एक फफूंदजनित रोग है | इस रोग की सम्भाना पौध से लेकर दाने लगने की अवस्था तक होता है |

लक्षण –

  • पत्तियों में छोटे छोटे भूरे धब्बे आ जाते है |
  • यह धब्बे बाद में आपस में मिल कर आकर में बाद जाते है और धान की पत्तियों को सूखा देती है |
  • इस रोग के कारण धान के दानो में भूरे धब्बे आ जाते है और दाने का भार भी कम हो जाता है |

नियंत्रण –

  • कार्बेन्डाजिम 2 gm /kg से धान के बीज का बीजोपचार |
  • कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करे |

खैरा रोग

धान में लगने वाला रोग है यह मुख्यतः जिंक की कमी के कारन होता है |

लक्षण –

  • पत्तियों के आधार का पीलापन |
  • पोधो में बौनापन
  • धान के कल्ले में कमी

नियंत्रण –

  • बोवाई से पूर्व 10-kg/एकड़ जिंक का छिड़काव
  • 1000 लीटर पानी में 5kg जिंक सल्फेट , 2.5kg बुझा चुना तथा 2kg यूरिया का घोल बना कर खेत में स्प्रे कर दे पैदवार में भी वृद्धि होगी |

False smut(लाई फूटना)

False smut

यह रोग दाने आने की अवस्था में होता है | इस रोग से धान की बाली को बहुत अधिक नुकसान होता है| यह एक कवकजनित रोग है |

लक्षण –

  • धान के दाने में काला रंग या पीले रंग की गांठ बन जाती है |

नियंत्रण –

  • धान का बीजोपचार 2gm /kg क्लोरोथानोमिल से करे ( धान के नर्सरी लगाने से पूर्व)
  • रोग के लक्षण दिखने पर संक्रमित धान के बाली को निकाल दे |
  • क्लोरोथानोमिल 2gm/लीटर का छिड़काव करे |

कीट प्रबंधन

मौसम में बदलाव,खाद का अधिक प्रयोग,फसल चक्र के अनुपालन न करने से , बाढ़ की अवस्था में कीट प्रकोप की समस्या देखने को मिलता है |

पत्ती लपेटक (लीफ रोलर)

लक्षण – इस कीट की इल्ली अपने लार से पत्तियों के किनारो को जोड़ देती है और बाद में वह पत्ता सुख जाता |

लीफ रोलर

नियंत्रण-ट्राइजोफॉस 40 ई.सी.प्रोफेनोफॉस 44 ई.सी 400ml/एकड़ + साइपरमेथ्रिन 4 ई.सी. 300ml/एकड़ कीट के प्रकोप होने पर छिड़काव करे |

तना छेदक
तना छेदक

लक्षण – इस कीट का प्रकोप कल्ले निकलने के समय होता है धान के रोपाई के बाद लगभग 30- दिनों बाद सफ़ेद रंग का कीट खेतो में आ जाता है जो बाद में अपने लार्वा को तना में छोड़ देता है जिससे बाद में धान का पौधा सुख जाता है |

नियंत्रण-कार्बोफ्यूरान 3 जी या कार्टेपहाइड्रोक्लोराइड 4 जी 10kg/एकड़ छिड़काव करे |

भूरा भुदका तथा गंधी बग

लक्षण -यह मुख्य रूप से रस चूसक कीट है |जब धान के पौध में दूध भराव का समय होता है उस समय इन कीटो का प्रकोप दीखता है|

नियंत्रण-एसिटामिप्रिड 20 % 50kg-/एकड़ तथा एस.पी.बुफ्रोजिन 25 % एस.पी. 300ml-/एकड़ दवा का उपयोग कीट प्रकोप की अवस्था में करना चाहिए |

प्रति एकड़ धान का उत्पादन

  • प्रति एकड़ धान का उत्पादन 30-35 कुन्टल होता है |
  • धान का उत्पादन निन्मलिखित बातो पर निर्भर करता है –
  • जलवायु ,मृदा ,खाद प्रबधन ,कीट एवं रोग नियंत्रण आदि तथ्यों से धान के उत्पादन में प्रभाव पड़ता है |

भारत एक कृषि प्रधान देश है,उसमे धान की खेती व्यापक रूप से किया जाता है | भारत विश्व में धान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है देश में सर्वाधिक धान का उत्पादन वेस्ट बंगाल में किया जाता है | इस ब्लॉग के माध्यम से धान की खेती (Paddy farming) के विषय मैंने अपने अनुभव को प्रस्तुत करने का प्रयास किया आशा करता हु इस ब्लॉग से आपकी मदद हुई हो |

FAQs

धान में यूरिया कितनी बार डालें?

धान की फसल में यूरिया का छिड़काव तीन बार करे प्रथम खाद का प्रयोग रोपाई के 10-15 दिन बाद खाद की दूसरी खुराख कल्ले फूटने से पहले और अंतिम खुराख धान में फूल आने से पहले करे |
प्रथम यूरिया का छिड़काव 25kg/एकड़
दूसरा छिड़काव 15kg / एकड़
तीसरा छिड़काव 10kg/ एकड़

धान की रोपाई कितनी दूरी पर करना चाहिए?

धान की रोपाई करने पर – कम अवधि के लिए फसल में पौध से पौध की दुरी 15x15cm तथा लाइन से लाइन की दुरी 15x15cm में रोपा लगाना चाहिए |
अधिक अवधि के धान के फसल के लिए पौध की दुरी 15x15cm तथा लाइन की दुरी 20x20cm होना चाहिए |
श्री विधि द्वारा धान की रोपाई करने पर पौध की दुरी –
पौध के मध्य दुरी 25x25cm रखना है 1 मीटर में लगभग 16 पौधे होते है |

1 एकड़ खेत में कितना डीएपी डालना चाहिए?

एक एकड़ में DAP खाद की मात्रा 50kg होनी चाहिए |

1 एकड़ में कितने किलो धान होना चाहिए?

प्रति एकड़ धान का उत्पादन 30-35 कुन्टल होता है |
जलवायु ,मृदा ,खाद प्रबधन ,कीट एवं रोग नियंत्रण आदि तथ्यों से धान के उत्पादन में प्रभाव पड़ता है |

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